बुधवार, 16 जुलाई 2025

धोबिया, मेरा मैल छुड़ा दे.../ गायन : संदीप ढाँढरिया

https://youtu.be/nHYSIFdFccE  


धोबिया,  मेरा  मैल  छुड़ा  दे,
जनम-जनम की मैली  चादर,
उजली     कर      पहना    दे,
धोबिया,  मेरा  मैल   छुड़ा दे,
धोबिया,  मेरा  मैल   छुड़ा दे।

ऐसा     धोबी    पाट    लगना,
धूल   जाये   मेरा   ताना-बाना,
ध्यान की साबुन, प्रेम का पानी,
अपने  करुणा कर से  लगाना,
ऐसी    निर्मल   करना   इसको,
जो     इसे    राम     मिला   दे।

सारे    दाग    मिटाना     इसकी,
परत-परत    इसकी    सुलझाना,
तार-तार    को    शीतल   करना,
लौट   कर  फिर   पड़े   न आना,
धीरज   की   इसे   धुप  लगाकर,
ज्यो     की     त्यों      लौटा    दे।

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