आरति श्री लक्ष्मी-गणेश की....
टिप्पणी : २७ अक्टूबर,२०११ की पोस्ट में इस आरती के तब तक हुए दो छंद प्रस्तुत
किये गए थे | इसी क्रम में एक और छंद जोड़ कर आरती को पूर्ण करने का प्रयास किया है | टिप्पणी : २७ अक्टूबर,२०११ की पोस्ट में इस आरती के तब तक हुए दो छंद प्रस्तुत
आशा है तीन छंदों की यह आरती लक्ष्मी-गणेश भक्तों को रुचिकर लगेगी तथा उन्हें सुख एवं
संतुष्टि देगी | -अरुण मिश्र.
*आरती*
आरति श्री लक्ष्मी-गणेश की |
आरति श्री लक्ष्मी-गणेश की |
धन-वर्षणि की,शमन-क्लेश की ||
दीपावलि में संग विराजें |
कमलासन - मूषक पर राजें |
शुभ अरु लाभ, बाजने बाजें |
ऋद्धि-सिद्धि-दायक - अशेष की ||
मुक्त - हस्त माँ, द्रव्य लुटावें |
एकदन्त, दुःख दूर भगावें |
सुर-नर-मुनि सब जेहि जस गावें |
बंदउं, सोइ महिमा विशेष की ||
विष्णु-प्रिया, सुखदायिनि माता |
गणपति, विमल बुद्धि के दाता |
श्री-समृद्धि, धन-धान्य प्रदाता |
मृदुल हास की, रुचिर वेश की ||
माँ लक्ष्मी, गणपति गणेश की ||
गणपति, विमल बुद्धि के दाता |
श्री-समृद्धि, धन-धान्य प्रदाता |
मृदुल हास की, रुचिर वेश की ||
माँ लक्ष्मी, गणपति गणेश की ||
*
-अरुण मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें