ग़ज़ल
-अरुण मिश्र
मेरी बरबादियों पे ख़ुश हो, तो दिल शाद कर लेना॥
ये तुम पे है, हमारे हक़ में, क्या इन्साफ करते हो।
हमारे हाथ में है, रो के बस फ़रियाद कर लेना॥
हमारा हौसला है, हर जफ़ा को हॅस के सह लेंगे।
तुम्हारा है हुनर, ताजा सितम ईज़ाद कर लेना॥
'अरुन' के मुँह पे ही,उनकी बुराई यूँ न कर ज़ालिम।
वो महफ़िल से चले जायें, तो उसके बाद कर लेना॥
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