फ़ित्नासामां हैं साँवली आँखें............
फ़ित्नासामां हैं
साँवली आँखें............
ग़ज़ल
-अरुण मिश्र.
देखिये तो लगें भली आँखें।
फ़ित्नासामां हैं साँवली आँखें॥
देखती भी हैं, देखती भी नहीं।
बावला कर दें, बावली आँखें॥
क्यूँ मचायें न दिल में वो हलचल।
कितनी चंचल हैं, मनचली आँखें॥
वो जगा तो 'अरुन' की नींद उड़ी।
ली जो अँगड़ाई, हैं मली आँखें॥
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