रविवार, 24 फ़रवरी 2013

सोये एहसास जगाओ तो कोई बात बने.....

 ग़ज़ल
Gabbiani al tramonto
सोये एहसास जगाओ तो कोई बात बने.....

-अरुण मिश्र.

सोये  एहसास  जगाओ,  तो  कोई बात बने। 
दर्द का  गीत  जो गाओ,  तो  कोई बात बने।।
  
सुब्ह  ख़ामोश  है,  पसरा  हुआ  सन्नाटा है। 
इक  कोई  टेर  लगाओ,  तो  कोई बात बने।।
  
दावा-ए-जादू-बयानी  पे  वो  हॅस कर, बोले। 
आग  पानी में  लगाओ,  तो  कोई बात बने।।
  
हम कहाँ चूके,जगी आग तो हमने भी कहा।  
आग से  आग बुझाओ,  तो  कोई बात  बने।।
  
इब्ने-आदम हैं ‘अरुन’ , राहे-गुनह के राही। 
आप भी  साथ जो आओ  तो कोई बात बने।। 
                                          *

 

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