बारिश में भीगी कुछ नन्हीं नन्हीं तीन पदों की तुकांत रचनाएँ,
क्रमशः तीन, पाँच एवं तीन के शब्द-विधान में
नाच रसीले मन !
-अरुण मिश्र
क्रमशः तीन, पाँच एवं तीन के शब्द-विधान में
नाच रसीले मन !
-अरुण मिश्र
ज़ोश भरे बादल।
टकराते फिरते, दल के दल;
गुँजा रहे मादल।।
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घटा घिरी घनघोर।
करत शोर चहुँ ओर पपिहरा,
दादुर, कोयल, मोर।।
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घिर आये बादल।
विरही नयनों से छलका जल;
फिर बिखरा काजल।।
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पावस के घन।
रस बरसायें; छूम छनन छन,
नाच, रसीले मन!!
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केतिक करूँ उपाय।
नित टकटकी बाँधि छवि निरखूँ ,
आँखिन नाहिं समाय।।
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चपला घन चमके।
रस संगीत सुनावत बदरा, बरसत
हैं जम के।।
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सोंधी धरती महके।
भीग भीग, वन उपवन लहके;
जन जीवन चहके।।
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