नज़ीर अकबराबादी
हमें अदाएँ दीवाली की ज़ोर भाती हैं ।
कि लाखों झमकें हरएक घर में जगमगाती हैं ।
चिराग जलते हैं और लौएँ झिलमिलाती हैं ।
मकां-मकां में बहारें ही झमझमाती हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।1।
गुलाबी बर्फ़ियों के मुंह चमकते-फिरते हैं ।
जलेबियों के भी पहिए ढुलकते-फिरते हैं ।
हर एक दाँत से पेड़े अटकते-फिरते हैं ।
इमरती उछले हैं लड्डू ढुलकते-फिरते हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।2।
मिठाईयों के भरे थाल सब इकट्ठे हैं ।
तो उन पै क्या ही ख़रीदारों के झपट्टे हैं ।
नबात, सेव, शकरकन्द, मिश्री गट्टे हैं ।
तिलंगी नंगी है गट्टों के चट्टे-बट्टे हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।3।
जो बालूशाही भी तकिया लगाए बैठे हैं ।
तो लौंज खजले यही मसनद लगाए बैठे हैं ।
इलायची दाने भी मोती लगाए बैठे हैं ।
तिल अपनी रेबड़ी में ही समाए बैठे हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।4।
उठाते थाल में गर्दन हैं बैठे मोहन भोग ।
यह लेने वाले को देते हैं दम में सौ-सौ भोग ।
मगध का मूंग के लड्डू से बन रहा संजोग ।
दुकां-दुकां पे तमाशे यह देखते हैं लोग ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।5।
दुकां सब में जो कमतर है और लंडूरी है ।
तो आज उसमें भी पकती कचौरी-पूरी है ।
कोई जली कोई साबित कोई अधूरी है ।
कचौरी कच्ची है पूरी की बात पूरी है ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।6।
कोई खिलौनों की सूरत को देख हँसता है ।
कोई बताशों और चिड़ों के ढेर कसता है ।
बेचने वाले पुकारे हैं लो जी सस्ता है ।
तमाम खीलों बताशों का मीना बरसता है ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।7।
और चिरागों की दुहरी बँध रही कतारें हैं ।
और हर सू कुमकुमे कन्दीले रंग मारे हैं ।
हुजूम, भीड़ झमक, शोरोगुल पुकारे हैं ।
अजब मज़ा है, अजब सैर है अजब बहारें हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।8।
अटारी, छज्जे दरो बाम पर बहाली है ।
दिबाल एक नहीं लीपने से खाली है ।
जिधर को देखो उधर रोशनी उजाली है ।
गरज़ मैं क्या कहूँ ईंट-ईंट पर दीवाली है ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।9।
जो गुलाब-रू हैं सो हैं उनके हाथ में छड़ियाँ ।
निगाहें आशिकों की हार हो गले पड़ियाँ ।
झमक-झमक की दिखावट से अँखड़ियाँ लड़ियाँ ।
इधर चिराग उधर छूटती हैं फुलझड़ियाँ ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।10।
क़लम कुम्हार की क्या-क्या हुनर जताती है ।
कि हर तरह के खिलौने नए दिखाती है ।
चूहा अटेरे है चर्खा चूही चलाती है ।
गिलहरी तो नव रुई पोइयाँ बनाती हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।11।
कबूतरों को देखो तो गुट गुटाते हैं ।
टटीरी बोले है और हँस मोती खाते हैं ।
हिरन उछले हैं, चीते लपक दिखाते हैं ।
भड़कते हाथी हैं और घोड़े हिनहिनाते हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।12।
किसी के कान्धे ऊपर गुजरियों का जोड़ा है ।
किसी के हाथ में हाथी बग़ल में घोड़ा है ।
किसी ने शेर की गर्दन को धर मरोड़ा है ।
अजब दीवाली ने यारो यह लटका जोड़ा है ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।13।
धरे हैं तोते अजब रंग के दुकान-दुकान ।
गोया दरख़्त से ही उड़कर हैं बैठे आन ।
मुसलमां कहते हैं ‘‘हक़ अल्लाह’’ बोलो मिट्ठू जान ।
हनूद कहते हैं पढ़ें जी श्री भगवान ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।14।
कहीं तो कौड़ियों पैसों की खनख़नाहट है ।
कहीं हनुमान पवन वीर की मनावट है ।
कहीं कढ़ाइयों में घी की छनछनाहट है ।
अजब मज़े की चखावट है और खिलावट है ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।15।
‘नज़ीर’ इतनी जो अब सैर है अहा हा हा ।
फ़क़्त दीवाली की सब सैर है अहा हा ! हा ।
निषात ऐशो तरब सैर है अहा हा हा ।
जिधर को देखो अज़ब सैर है अहा हा हा ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।16।
कि लाखों झमकें हरएक घर में जगमगाती हैं ।
चिराग जलते हैं और लौएँ झिलमिलाती हैं ।
मकां-मकां में बहारें ही झमझमाती हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।1।
गुलाबी बर्फ़ियों के मुंह चमकते-फिरते हैं ।
जलेबियों के भी पहिए ढुलकते-फिरते हैं ।
हर एक दाँत से पेड़े अटकते-फिरते हैं ।
इमरती उछले हैं लड्डू ढुलकते-फिरते हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।2।
मिठाईयों के भरे थाल सब इकट्ठे हैं ।
तो उन पै क्या ही ख़रीदारों के झपट्टे हैं ।
नबात, सेव, शकरकन्द, मिश्री गट्टे हैं ।
तिलंगी नंगी है गट्टों के चट्टे-बट्टे हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।3।
जो बालूशाही भी तकिया लगाए बैठे हैं ।
तो लौंज खजले यही मसनद लगाए बैठे हैं ।
इलायची दाने भी मोती लगाए बैठे हैं ।
तिल अपनी रेबड़ी में ही समाए बैठे हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।4।
उठाते थाल में गर्दन हैं बैठे मोहन भोग ।
यह लेने वाले को देते हैं दम में सौ-सौ भोग ।
मगध का मूंग के लड्डू से बन रहा संजोग ।
दुकां-दुकां पे तमाशे यह देखते हैं लोग ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।5।
दुकां सब में जो कमतर है और लंडूरी है ।
तो आज उसमें भी पकती कचौरी-पूरी है ।
कोई जली कोई साबित कोई अधूरी है ।
कचौरी कच्ची है पूरी की बात पूरी है ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।6।
कोई खिलौनों की सूरत को देख हँसता है ।
कोई बताशों और चिड़ों के ढेर कसता है ।
बेचने वाले पुकारे हैं लो जी सस्ता है ।
तमाम खीलों बताशों का मीना बरसता है ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।7।
और चिरागों की दुहरी बँध रही कतारें हैं ।
और हर सू कुमकुमे कन्दीले रंग मारे हैं ।
हुजूम, भीड़ झमक, शोरोगुल पुकारे हैं ।
अजब मज़ा है, अजब सैर है अजब बहारें हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।8।
अटारी, छज्जे दरो बाम पर बहाली है ।
दिबाल एक नहीं लीपने से खाली है ।
जिधर को देखो उधर रोशनी उजाली है ।
गरज़ मैं क्या कहूँ ईंट-ईंट पर दीवाली है ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।9।
जो गुलाब-रू हैं सो हैं उनके हाथ में छड़ियाँ ।
निगाहें आशिकों की हार हो गले पड़ियाँ ।
झमक-झमक की दिखावट से अँखड़ियाँ लड़ियाँ ।
इधर चिराग उधर छूटती हैं फुलझड़ियाँ ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।10।
क़लम कुम्हार की क्या-क्या हुनर जताती है ।
कि हर तरह के खिलौने नए दिखाती है ।
चूहा अटेरे है चर्खा चूही चलाती है ।
गिलहरी तो नव रुई पोइयाँ बनाती हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।11।
कबूतरों को देखो तो गुट गुटाते हैं ।
टटीरी बोले है और हँस मोती खाते हैं ।
हिरन उछले हैं, चीते लपक दिखाते हैं ।
भड़कते हाथी हैं और घोड़े हिनहिनाते हैं ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।12।
किसी के कान्धे ऊपर गुजरियों का जोड़ा है ।
किसी के हाथ में हाथी बग़ल में घोड़ा है ।
किसी ने शेर की गर्दन को धर मरोड़ा है ।
अजब दीवाली ने यारो यह लटका जोड़ा है ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।13।
धरे हैं तोते अजब रंग के दुकान-दुकान ।
गोया दरख़्त से ही उड़कर हैं बैठे आन ।
मुसलमां कहते हैं ‘‘हक़ अल्लाह’’ बोलो मिट्ठू जान ।
हनूद कहते हैं पढ़ें जी श्री भगवान ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।14।
कहीं तो कौड़ियों पैसों की खनख़नाहट है ।
कहीं हनुमान पवन वीर की मनावट है ।
कहीं कढ़ाइयों में घी की छनछनाहट है ।
अजब मज़े की चखावट है और खिलावट है ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।15।
‘नज़ीर’ इतनी जो अब सैर है अहा हा हा ।
फ़क़्त दीवाली की सब सैर है अहा हा ! हा ।
निषात ऐशो तरब सैर है अहा हा हा ।
जिधर को देखो अज़ब सैर है अहा हा हा ।
खिलौने नाचें हैं तस्वीरें गत बजाती हैं ।
बताशे हँसते हैं और खीलें खिलखिलाती हैं ।16।