बापू...
- अरुण मिश्र
हिन्दियों के हृदय में, बापू बसे प्यारे से हैं।
आसमाने-हिन्द में, गॉधी जी ध्रुव-तारे से हैं।।
तोपें-तलवारें सदा, गल जायेंगी इस ऑच से।
सच-अहिंसा, शस्त्र गॉधी जी के, अंगारे से हैं।।
संगे-पारस हैं, कि जो छू ले उन्हें, सोना बने।
एक ही क़िरदार अपनी तरह के, न्यारे से हैं।।
नूर से इस,हिन्द के, दुनिया हुई रोशन ‘अरुन’।
दूर होगा हर कुहासा, गॉधी, उजियारे से हैं।।
*
(पूर्वप्रकाशित)
- अरुण मिश्र
हिन्दियों के हृदय में, बापू बसे प्यारे से हैं।
आसमाने-हिन्द में, गॉधी जी ध्रुव-तारे से हैं।।
तोपें-तलवारें सदा, गल जायेंगी इस ऑच से।
सच-अहिंसा, शस्त्र गॉधी जी के, अंगारे से हैं।।
संगे-पारस हैं, कि जो छू ले उन्हें, सोना बने।
एक ही क़िरदार अपनी तरह के, न्यारे से हैं।।
नूर से इस,हिन्द के, दुनिया हुई रोशन ‘अरुन’।
दूर होगा हर कुहासा, गॉधी, उजियारे से हैं।।
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(पूर्वप्रकाशित)
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