रचना : अरुण मिश्र
संगीत : केवल कुमार
स्वर : प्राची चन्द्रा एवं सखियाँ
आरति श्री लक्ष्मी-गणेश की....
*आरती*
आरति श्री लक्ष्मी-गणेश की |
आरति श्री लक्ष्मी-गणेश की |
धन-वर्षणि की,शमन-क्लेश की ||
दीपावलि में संग विराजें |
कमलासन - मूषक पर राजें |
शुभ अरु लाभ, बाजने बाजें |
ऋद्धि-सिद्धि-दायक - अशेष की ||
मुक्त - हस्त माँ, द्रव्य लुटावें |
एकदन्त, दुःख दूर भगावें |
सुर-नर-मुनि सब जेहि जस गावें |
बंदउं, सोइ महिमा विशेष की ||
विष्णु-प्रिया, सुखदायिनि माता |
गणपति, विमल बुद्धि के दाता |
श्री-समृद्धि, धन-धान्य प्रदाता |
मृदुल हास की, रुचिर वेश की ||
माँ लक्ष्मी, गणपति गणेश की ||
गणपति, विमल बुद्धि के दाता |
श्री-समृद्धि, धन-धान्य प्रदाता |
मृदुल हास की, रुचिर वेश की ||
माँ लक्ष्मी, गणपति गणेश की ||
*
-अरुण मिश्र
(पूर्वप्रकाशित )
(पूर्वप्रकाशित )
बहुत सुंदर!!हमें तो हिन्दी भाषा का समुचित ग्यान भी नहीं है।परन्तु सुन्दर आवाज,अति सुन्दर राग और उपयुक्त शब्दों का प्रयोग।भजन के रचना में सभी जरूरी बातों का ध्यान रखकर इसे मर्मस्पर्शी बनाया गया है।आपकी सार्थक प्रयास समूचे भारत मे फैले,ऐसा मै भी कामना करता हूँ।सादर,
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
जवाब देंहटाएंबधाइयाँ मिश्र जी !!
सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबधाइयाँ मिश्र जी !!
बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर, बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआपकी इस हृदय स्पर्शी रचना के लिए ढेर सारी बधाइयां।
के एल यादव।
9839738920
अत्यन्त सुन्दर एवं सारगर्भित रचना, मधुर भावपूर्ण गायन एवं सुंदर प्रस्तुति
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