https://youtu.be/BO4GVlJS21k
पार्वती वल्लभ अष्टकम
नमो भूत-नाथम् नमो देव-देवम् नम: काल-कालम् नमो दिव्य-तेजम् | नम: काम-भस्मम् नम: शान्त-शीलम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || १ || सदा तीर्थ-सिद्धम् सदा भक्त-पक्षम् सदा शैव-पूज्यम् सदा शूर-भस्मम् | सदा ध्यान-युक्तम् सदा ज्ञान-दल्पम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || २ || श्मशानम्-भयानम् महास्थान-वासम् शरीरम् गजानाम् सदा चर्म-वेष्टम् | पिशाचम् नि:शेषम् पशूनाम् प्रतिष्ठम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ३ || करे शूलधरम् महाकष्ट-नाशम् सुरेशम् वरेशम् महेशम् जनेशम् | तनौ चारु-ईशम् द्विजेशम् गिरीशम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ४ || मुनीनाम् वरेण्यम् गुणम् रूप-वर्णम् द्विजम्-संपदस्थम् शिवम् वेद-शास्त्रम् | अहो दीन-वत्सम् कृपालुम् शिवम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ५ || सदा भाव-नाथम् सदा सेव्य-मानम् सदा भक्ति-देवम् सदा पूज्यमानम् | मया थीर्थ वासं, सदा सेव्यमेकम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ६ || फणि-नाग कण्ठे भुजंगात् अनेकम् गले रुण्ड-मालम् महावीर-शूरम् | कटिम् व्याघ्र-चर्मम् चिताभस्म-लेपम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ७ || शिरात् शुद्ध-गङ्गा शिवा वाम-भागम् बहुतीर्थ-केशम् सदा माम् त्रिनेत्रम् | फणि-नाग-कर्णम् सदा फालचन्द्रम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ८ || उदासम् सुधासम् सुकैलाश-वासम् धरा-निर्धरा-संस्थितम् ह्यादि-देवम् अजा हेम-कल्पद्रुमम् कल्प-सेव्यम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ९ ||
नमो भूत-नाथम् नमो देव-देवम् नम: काल-कालम् नमो दिव्य-तेजम् | नम: काम-भस्मम् नम: शान्त-शीलम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || १ || सदा तीर्थ-सिद्धम् सदा भक्त-पक्षम् सदा शैव-पूज्यम् सदा शूर-भस्मम् | सदा ध्यान-युक्तम् सदा ज्ञान-दल्पम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || २ || श्मशानम्-भयानम् महास्थान-वासम् शरीरम् गजानाम् सदा चर्म-वेष्टम् | पिशाचम् नि:शेषम् पशूनाम् प्रतिष्ठम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ३ || करे शूलधरम् महाकष्ट-नाशम् सुरेशम् वरेशम् महेशम् जनेशम् | तनौ चारु-ईशम् द्विजेशम् गिरीशम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ४ || मुनीनाम् वरेण्यम् गुणम् रूप-वर्णम् द्विजम्-संपदस्थम् शिवम् वेद-शास्त्रम् | अहो दीन-वत्सम् कृपालुम् शिवम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ५ || सदा भाव-नाथम् सदा सेव्य-मानम् सदा भक्ति-देवम् सदा पूज्यमानम् | मया थीर्थ वासं, सदा सेव्यमेकम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ६ || फणि-नाग कण्ठे भुजंगात् अनेकम् गले रुण्ड-मालम् महावीर-शूरम् | कटिम् व्याघ्र-चर्मम् चिताभस्म-लेपम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ७ || शिरात् शुद्ध-गङ्गा शिवा वाम-भागम् बहुतीर्थ-केशम् सदा माम् त्रिनेत्रम् | फणि-नाग-कर्णम् सदा फालचन्द्रम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ८ || उदासम् सुधासम् सुकैलाश-वासम् धरा-निर्धरा-संस्थितम् ह्यादि-देवम् अजा हेम-कल्पद्रुमम् कल्प-सेव्यम् भजे पार्वति-वल्लभम् नीलकण्ठम् || ९ ||
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