सोमवार, 27 मई 2024

सीपिया बरन मंगलमय तन.../ स्वर्गीय भारत भूषण जी का गीत

https://youtu.be/V_0ZZzgfGVI  


सीपिया बरन मंगलमय तन,
जीवन दर्शन बांचते नयन। 
संस्कृत सूत्रों जैसी अलकें,
है भाल चन्द्रमा का बचपन।।
हल्के जमुनाए होठों पर,
दीये की लौ-सी मुस्कानें।
धूपिया कपोलों पर रोली से,
शुभम् लिखा चन्दरमा ने।
सम्मुख हो तो आरती सजी 
सुधि में हो तो चंदन-चंदन।।
वरदानों से उजले-उजले, 
कर्पूरी बाँहों के घेरे। 
ईंगुरी हथेली में जैसे, 
अंकित हों भाग्य-लेख मेरे। 
पल भर तो बैठो, बिखरा दूँ 
पूजा में अंजुरी भरे सुमन।।
साड़ी की सिकुड़न-सिकुड़न में,
किसने रच दी गंगा-लहरी। 
चितवन-चितवन ने पूरी है,
रंगोली सी गहरी-गहरी।
अवतरित हो रहे नख-शिख में,
सारे पावन, सारे शोभन।।

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