https://youtu.be/V_0ZZzgfGVI
सीपिया बरन मंगलमय तन,
जीवन दर्शन बांचते नयन।
संस्कृत सूत्रों जैसी अलकें,
है भाल चन्द्रमा का बचपन।।
जीवन दर्शन बांचते नयन।
संस्कृत सूत्रों जैसी अलकें,
है भाल चन्द्रमा का बचपन।।
हल्के जमुनाए होठों पर,
दीये की लौ-सी मुस्कानें।
धूपिया कपोलों पर रोली से,
शुभम् लिखा चन्दरमा ने।
सम्मुख हो तो आरती सजी
सुधि में हो तो चंदन-चंदन।।
दीये की लौ-सी मुस्कानें।
धूपिया कपोलों पर रोली से,
शुभम् लिखा चन्दरमा ने।
सम्मुख हो तो आरती सजी
सुधि में हो तो चंदन-चंदन।।
वरदानों से उजले-उजले,
कर्पूरी बाँहों के घेरे।
ईंगुरी हथेली में जैसे,
अंकित हों भाग्य-लेख मेरे।
पल भर तो बैठो, बिखरा दूँ
पूजा में अंजुरी भरे सुमन।।
कर्पूरी बाँहों के घेरे।
ईंगुरी हथेली में जैसे,
अंकित हों भाग्य-लेख मेरे।
पल भर तो बैठो, बिखरा दूँ
पूजा में अंजुरी भरे सुमन।।
साड़ी की सिकुड़न-सिकुड़न में,
किसने रच दी गंगा-लहरी।
चितवन-चितवन ने पूरी है,
रंगोली सी गहरी-गहरी।
अवतरित हो रहे नख-शिख में,
सारे पावन, सारे शोभन।।
किसने रच दी गंगा-लहरी।
चितवन-चितवन ने पूरी है,
रंगोली सी गहरी-गहरी।
अवतरित हो रहे नख-शिख में,
सारे पावन, सारे शोभन।।
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