बुधवार, 1 मई 2024

आख़िरी वक़्त है आख़िरी साँस है.../ शायर : शकील बदायूँनी / गायन : स्व. रोशन चचा, दरगाह बहराइच

 https://youtu.be/kdKOjXuX_qE


आख़िरी वक़्त है आख़िरी साँस है 
ज़िंदगी की है शाम आख़िरी आख़िरी 
संग-दिल आ भी जा अब ख़ुदा के लिए 
लब पे है तेरा नाम आख़िरी आख़िरी 

कुछ तो आसान होगा अदम का सफ़र 
उन से कहना तुम्हें ढूँढती है नज़र 
नामा-बर तू ख़ुदारा न अब देर कर 
दे दे उन को पयाम आख़िरी आख़िरी 

तौबा करता हूँ कल से पियूँगा नहीं 
मय-कशी के सहारे जियूँगा नहीं 
मेरी तौबा से पहले मगर साक़िया 
सिर्फ़ दे एक जाम आख़िरी आख़िरी 

मुझ को यारों ने नहला के कफ़ना दिया 
दो घड़ी भी न बीती कि दफ़ना दिया 
कौन करता है ग़म टूटते ही ये दम 
कर दिया इंतिज़ाम आख़िरी आख़िरी 

जीते-जी क़द्र मेरी किसी ने न की 
ज़िंदगी भी मिरी बेवफ़ा हो गई 
दुनिया वालो मुबारक ये दुनिया तुम्हें 
कर चले हम सलाम आख़िरी आख़िरी

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