बुधवार, 27 अगस्त 2025

गाइये गनपति जगबंदन.../ रचना : गोस्वामी तुलसीदास / गायन : कौशिकी चक्रवर्ती

https://youtu.be/bsAwaZV3RmE   


गाइये गनपति जगबंदन।
संकर-सुवन भवानी नंदन ॥ १ ॥

गाइये गनपति जगबंदन।
सिद्धि-सदन, गज बदन, बिनायक।
कृपा-सिंधु, सुंदर सब-लायक ॥ २ ॥

गाइये गनपति जगबंदन।
मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता।
बिद्या-बारिधि, बुद्धि बिधाता ॥ ३ ॥

गाइये गनपति जगबंदन।
मांगत तुलसिदास कर जोरे।
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥ ४ ॥

गाइये गनपति जगबंदन।।

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