शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से.../ रचना : बाबू रघुबीर नारायण / गायन : चन्दन तिवारी एवं अन्य

https://youtu.be/DK5skOOnzo4   

सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरे प्राण बसे हिम-खोह रे बटोहिया


एक द्वार घेरे रामा हिम-कोतवलवा से
तीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया


जाऊ-जाऊ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ
जहवां कुहुकी कोइली गावे रे बटोहिया


पवन सुगंध मंद अगर चंदनवां से
कामिनी बिरह-राग गावे रे बटोहिया


बिपिन अगम घन सघन बगन बीच
चंपक कुसुम रंग देबे रे बटोहिया


द्रुम बट पीपल कदंब नींब आम वृछ
केतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया


तोता तुती बोले रामा बोले भेंगरजवा से
पपिहा के पी-पी जिया साले रे बटोहिया


सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरे प्रान बसे गंगा धार रे बटोहिया


गंगा रे जमुनवा के झिलमिल पनियां से
सरजू झमकि लहरावे रे बटोहिया


ब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि दिन
सोनभद्र मीठे स्वर गावे रे बटोहिया


उपर अनेक नदी उमड़ि घुमड़ि नाचे
जुगन के जदुआ जगावे रे बटोहिया


आगरा प्रयाग कासी दिल्ली कलकतवा से
मोरे प्रान बसे सरजू तीर रे बटोहिया


जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखी आउ
जहां ऋसि चारो बेद गावे रे बटोहिया


सीता के बीमल जस राम जस कॄष्ण जस
मोरे बाप-दादा के कहानी रे बटोहिया


ब्यास बालमीक ऋसि गौतम कपिलदेव
सूतल अमर के जगावे रे बटोहिया


रामानुज-रामानंद न्यारी-प्यारी रूपकला
ब्रह्म सुख बन के भंवर रे बटोहिया


नानक कबीर गौर संकर श्रीरामकॄष्ण
अलख के गतिया बतावे रे बटोहिया


बिद्यापति कालीदास सूर जयदेव कवि
तुलसी के सरल कहानी रे बटोहिया


जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखि आउ
जहां सुख झूले धान खेत रे बटोहिया


बुद्धदेव पृथु बिक्रsमार्जुनs सिवाजीss के
फिरि-फिरि हिय सुध आवे रे बटोहिया


अपर प्रदेस देस सुभग सुघर बेस
मोरे हिंद जग के निचोड़ रे बटोहिया


सुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि जेही
जन 'रघुबीर' सिर नावे रे बटोहिया।

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