शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

भँवरवा के तोहरा संग जाई.../ निर्गुण : संत कबीर / स्वर : चंदन तिवारी

 https://youtu.be/ZrcYdb_Zztc 

भँवरवा के तोहरा संग जाई 

भँवरवा के तोहरा संग जाई ।

के तोहरा संग जाई 

भँवरवा के तोहरा संग जाई 

भँवरवा के तोहरा संग जाई ।

आवे के बेरिया सब केहू जाने, दुअरा पर बाजल बधाई।

जाए के बेरिया केहू ना जाने, हंसा अकेला चलि जाई ।

भँवरवा के तोहरा संग जाइ, भँवरवा के तोहरा संग जाई  

के तोहरा संग जाई।

भँवरवा के तोहरा सांग जाइ, भँवरवा के तोहरा संग जाई।

डेहरी पकड़ के मेहरी रोए, बाँह पकड़ के भाई।

बीच अंगनवा माता जी रोवे, बबुआ के होखत आ  बिदाई।

भँवरवा के तोहरा संग जाई।

कहत कबीर सुनो भाई साधू, सतगुरु सरन में जाई।

जो यह पद के अर्थ बतइहें, जगत पार होइ जाई।

भँवरवा के तोहरा संग जाई, भँवरवा के तोहरा संग जाई।

के तोहरा संग जाई।

भँवरवा के तोहरा संग जाई, भँवरवा के तोहरा संग जाई।

भँवरवा के तोहरा संग जाइ, भँवरवा के तोहरा संग जाई।

के तोहरा संग जाई।

भँवरवा के तोहरा संग जाई।   

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