सोमवार, 30 मई 2022

अंसुवन सूखे रे मोरी अँखियाँ.../ रचना : सद्गुरु प्रेमानन्द स्वामी / स्वर एवं संगीत : अनल चटर्जी

 https://youtu.be/7DTRlT95G3U 

अंसुवन सूखे रे मोरी अँखियाँ...
राग खमाज ठुमरी
रचना : सद्गुरु प्रेमानन्द स्वामी
स्वर एवं संगीत : अनल चटर्जी

अंसुवन सूखे रे मोरी अँखियाँ...

श्याम वियोग सह्यो नहिं जाये,
कैसी करूँ रे अब मोरी सखियाँ।
अंसुवन सूखे रे मोरी अँखियाँ...

कैसे मिलूँ घनश्याम पियाकुँ,
विधि न दीनी रे मोये पँखिया।
अंसुवन सूखे रे मोरी अँखियाँ...

पिया की सुरत सँभारत एकटक,
मानुं चितारे रे चित्र लखियाँ।
अंसुवन सूखे रे मोरी अँखियाँ...

'प्रेमानन्द' पिया बिन प्यारी,
जल बिन न्यारी रे जैसे काखियाँ।
अंसुवन सूखे रे मोरी अँखियाँ...

TRANSLATION

The tears have dried up in my eyes in your longing.

Oh my friends, what should I do? I cannot tolerate the
separation from my beloved (Bhagwan Swaminarayan).

How shall I meet my beloved Ghanshyam
since the creator has not given me feathers.

I constantly remember the charming face of Bhagwan Swaminaraya,
as if a painter has painted it onto my heart...

'Premanand' yearns that without beloved Bhagwan Swaminarayan,
his condition is similar to a fish in the absence of water.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें