मंगलवार, 27 फ़रवरी 2024

चेहरे पे मिरे ज़ुल्फ़ को फैलाओ किसी दिन.../ शायर : अमजद इस्लाम अमजद / गायन : ग़ुल बहार बानो

 https://youtu.be/5vBD5ETuo4A  

चेहरे पे मिरे ज़ुल्फ़ को फैलाओ किसी दिन

चेहरे पे मिरे ज़ुल्फ़ को फैलाओ किसी दिन

क्या रोज़ गरजते हो बरस जाओ किसी दिन

राज़ों की तरह उतरो मिरे दिल में किसी शब

दस्तक पे मिरे हाथ की खुल जाओ किसी दिन

पेड़ों की तरह हुस्न की बारिश में नहा लूँ

बादल की तरह झूम के घर आओ किसी दिन

ख़ुशबू की तरह गुज़रो मिरी दिल की गली से

फूलों की तरह मुझ पे बिखर जाओ किसी दिन

गुज़रें जो मेरे घर से तो रुक जाएँ सितारे

इस तरह मिरी रात को चमकाओ किसी दिन

मैं अपनी हर इक साँस उसी रात को दे दूँ

सर रख के मिरे सीने पे सो जाओ किसी दिन

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