बुधवार, 8 मई 2024

सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ .../ स्वर्गीय भारत भूषण

 https://youtu.be/0l_qFx1CzeE

सौ-सौ जनम प्रतीक्षा कर लूँ 

प्रिय मिलने का वचन भरो तो ! 

पलकों-पलकों शूल बुहारूँ 

अँसुअन सींचू सौरभ गलियाँ 

भँवरों पर पहरा बिठला दूँ 

कहीं न जूठी कर दें कलियाँ 

फूट पडे पतझर से लाली 

तुम अरुणारे चरन धरो तो !

रात न मेरी दूध नहाई 

प्रात न मेरा फूलों वाला 

तार-तार हो गया निमोही 

काया का रंगीन दुशाला 

जीवन सिंदूरी हो जाए 

तुम चितवन की किरन करो तो ! 

सूरज को अधरों पर धर लूँ 

काजल कर आँजूँ अँधियारी 

युग-युग के पल छिन गिन-गिनकर 

बाट निहारूँ प्राण तुम्हारी 

साँसों की ज़ंजीरें तोड़ूँ 

तुम प्राणों की अगन हरो तो !

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