बुधवार, 20 नवंबर 2024

माई म्हने सुपणां में परणी गोपाल.../ मीराबाई / प्रस्तुति : विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे

https://youtu.be/c_BwrU2hCO4 


माई म्हने सुपणां में परणी गोपाल।

मत करो म्हारी ब्याव सगाई,
क्यूं बांधो जंजाल??

झूठा मात पिता सुत बन्धु 
बँध्यो अबध्या ताल।।

मीरा के प्रभु गिरिधर नागर 
सांचो पति नंदलाल।।

नमस्ते, 'बतियां दौरावत' के सुननेवालों का 
आज मीराबाई की सफर में एक बार फिर स्वागत।
मीराबाई ने उठते-बैठते, सोते-जागते, गिरिधर गोपाल 
को ही अपने पति के रूप में देखा, इतना ही नहीं, 
बल्कि ईश्वर से खुद की शादी भी रचते हुए देखी.. 
उन्होंने इस घटना को एकबार नहीं, बल्कि बारबार 
जिया।

“माई म्हने सुपणां में परणी गोपाल...”

आम तौर से इस पद के काव्य के जो शब्द पाये 
जाते हैं, उनमें यह उल्लेख मिलता है, कि 
“छप्पन कोटां जणां पधार्या, दूल्हो सिरी बृजराज” 
इत्यादि । परंतु, मेरे पद को काव्य कुछ अलग है, 
इसमें मीराबाई कहतीं हैं,

“मत करो म्हारी ब्याव सगाई,
क्यूं बांधो जंजाल?”

यह काव्य मुझे कुछ समय पहले प्राप्त हुआ, जब मैंने मीराबाई के जन्मस्थल मेड़ता में रचाये जा रहे एक दृक्‌श्राव्य प्रस्तुति (light and Sound show) 
के लिए गाया। इस तरह से एक ही पद के पाठभेद 
प्राप्त होते हैं यह घटना केवल मीराबाई के पदों के 
बारे में ही नहीं, बल्कि अन्य मध्ययुगीन संतकवियों 
की रचनाओं के बारे में भी पाई जाती है।

पाठभेद जो भी हो, घटना एकही है, मीराबाई ने 
देखा हुआ सपना - जिसमें वे अपने खुद के 
परिणय का वर्णन करती हैं।

आइए, सुनते हैं
“परणी गोपाल ।”
- अश्विनी भिड़े देशपाण्डे

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