सोमवार, 4 नवंबर 2024

विश्वेश्वर दर्शन कर चल मन तुम काशी.../ स्वर : सिवस्री स्कन्द प्रसाद

https://youtu.be/cwnxY864jDM  


विश्वेश्वर दर्शन कर चल
मन तुम काशी ।।

विश्वेश्वर दर्शन जब कीन्हो
बहु प्रेम सहित
काटे करुणा निधान जनन मरण फांसी।।

बहती जिनकी पुरी मो गंगा
पय कॆ समान
वा कॆ तट घाट घाट
भर रहे संन्यासी।।

भस्म अंग भुज त्रिशूल
और मे लसे नाग
मायि गिरिजा अर्धांग धरे
त्रिभुवन जिन दासी।।

पद्मनाभ कमलनयन
त्रिनयन शंभू महेश
भज ले ये दो स्वरूप
रह ले अविनाशी।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें