शुक्रवार, 20 जून 2025

कोई तन्हाई का एहसास दिलाता है मुझे.../ शायर : शाज़ तमकनत / गायन : वन्दना श्रीनिवासन

https://youtu.be/TXvMTnsZLZ4   

कोई तन्हाई का एहसास दिलाता है मुझे
मैं बहुत दूर हूँ नज़दीक बुलाता है मुझे


मैं ने महसूस किया शहर के हंगामे में
कोई सहरा में है, सहरा में बुलाता है मुझे


तू कहाँ है कि तिरी ज़ुल्फ़ का साया साया
हर घनी छाँव में ले जा के बिठाता है मुझे


ऐ मिरे हाल-ए-परेशाँ के निगह-दार ये क्या
किस क़दर दूर से आईना दिखाता है मुझे


ऐ मकीन-ए-दिल-ओ-जाँ मैं तिरा सन्नाटा हूँ
मैं इमारत हूँ तिरी किस लिए ढाता है मुझे


रहम कर मैं तिरी मिज़्गाँ पे हूँ आँसू की तरह
किस क़यामत की बुलंदी से गिराता है मुझे


'शाज़' अब कौन सी तहरीर को तक़दीर कहूँ
कोई लिखता है मुझे कोई मिटाता है मुझे

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