pasand aayi yeh kavita aur iski prastuti bhi .
यें घटाएँ,क्या मिटाएँगी ---मेरे मन की जलन ?......................................टुकड़ों - टुकड़ों में --आ रहे बादल ।।गजब् की रचना है, उसमे भी ये विरहोक्ति अद्भुत लगी।
प्रिय अल्पना जी एवं प्रिय अमित जी, आप की सहृदय टिप्पणियों के लिए मैं आप दोनों का आभारी हूँ|-अरुण मिश्र.
pasand aayi yeh kavita aur iski prastuti bhi .
जवाब देंहटाएंयें घटाएँ,
जवाब देंहटाएंक्या मिटाएँगी ---
मेरे मन की जलन ?
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टुकड़ों - टुकड़ों में --
आ रहे बादल ।।
गजब् की रचना है, उसमे भी ये विरहोक्ति अद्भुत लगी।
प्रिय अल्पना जी एवं प्रिय अमित जी, आप की सहृदय टिप्पणियों के लिए मैं आप दोनों का आभारी हूँ|
जवाब देंहटाएं-अरुण मिश्र.