जाने किसका संदेशा लाये हैं ||
हैं ये बादल नहीं, लिफाफे हैं |
मेरे साजन का ख़त छिपाए हैं ||
ये जो आये, वो आ रहे होंगे |
अक्स, रिम-झिम में झिलमिलाये हैं ||
बदलियाँ हैं कि, छोरियां चंचल |
जो, शफक की हिना रचाए हैं ||
मन बिंधा है, मदन के बानों से |
इन्द्र, नभ में, धनुष उठाए हैं ||
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