ग़ज़ल
-अरुण मिश्र .
अपने चारों ओर देखो, जो बड़े सरनाम हैं।
बेशतर इंसानियत के नाम पर दुश्नाम हैं।।
ताक़तो-दौलत व शोहरत,जिसपे है जितनी यहॉ।
उसपे उतनी तीरग़ी, उतने ही ओछे काम हैं।।
ऐश , रुतबा है, अकड़ है, हेकड़ी है, ऐंठ है।
फ़ख्र करने के लिये, उसपे कई इनआम् हैं।।
दिल लिये, नेक़ी लिये, नीयत,शराफ़त को लिये।
हम ‘अरुन’ इस दौर में, नाहक़ हुये बदनाम हैं।।
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