सोमवार, 26 दिसंबर 2011

फिर वही शोख़ पुरजमाल आये............


ग़ज़ल

-अरुण मिश्र . 


बेख़याली   में     ये    ख़याल   आये। 
फिर  वही  शोख़   पुरजमाल   आये॥

फिर  उन्हीं  मस्तियों के  दिन लौटें। 
फिर  वही   रोज़ो-माहो-साल   आये॥

फिर   वही   हो,  जुनून  का   आलम। 
फिर   मेरे  जोश   में   उबाल   आये॥

अब न  क्या  गर्ज कुछ, उसे  मुझसे। 
पहले ख़त जिसके,सालों-साल आये॥

वो  जो  आये, तो  कुछ  ज़वाब मिले। 
उसको   लेकर,   कई   सवाल  आये॥

जी हुआ हल्का  'अरुन', दिल दे कर। 
एक  थी  फॉस,  सो   निकाल  आये॥
                        *

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