ग़ज़ल
-अरुण मिश्र .
बेख़याली में ये ख़याल आये।
फिर वही शोख़ पुरजमाल आये॥
फिर उन्हीं मस्तियों के दिन लौटें।
फिर वही रोज़ो-माहो-साल आये॥
फिर वही हो, जुनून का आलम।
फिर मेरे जोश में उबाल आये॥
अब न क्या गर्ज कुछ, उसे मुझसे।
पहले ख़त जिसके,सालों-साल आये॥
वो जो आये, तो कुछ ज़वाब मिले।
उसको लेकर, कई सवाल आये॥
जी हुआ हल्का 'अरुन', दिल दे कर।
एक थी फॉस, सो निकाल आये॥
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