यही शाने-ज़िन्दगी है......
-अरुण मिश्र
जो हार मान लोगे, दुश्वार होंगी राहें।
ग़र हौसला रखोगे, हमवार होंगी राहें।
मत ज़िंदगी से भागो, तुम ज़िंदगी से खेलो।
आँखों में डाल आँखें, बाहों में डाल बाहें।।
* * *
होनी तो हो रहेगी, हम चाहें या न चाहें।
जो हुआ ही नहीं अब तक, उस पर न भरो आहें।
हैं ज़ीस्त के मसाइल, आसान भी, मुश्किल भी।
यही शाने - ज़िन्दगी है, हँस कर इन्हें निबाहें।।
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