रूप को फिर निखारा गया.....
रूप को, फिर, निखारा गया।
आइने में, सँवारा गया।।
किस पे, पानी चढ़ाया गया?
किसका, पानी उतारा गया??
बान, नयनों के, जब भी चले।
कौन है, जो न मारा गया??
उठ के महफ़िल से, वो क्या चला?
मेरा दिल भी, बिचारा, गया।।
था वो पहलू में, थी ज़िन्दगी।
अब तो , ये भी सहारा गया।।
क्या क़यामत थी कल रात, मैं।
नाम ले कर, पुकारा गया।।
*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें