मंगलवार, 30 जून 2020

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है.../ साहिर लुधियानवी / राजेश सिंह

https://youtu.be/DY47_Kja8ko
कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है कि ज़िन्दगी तेरी ज़ुल्फ़ों की नर्म छाँव में  गुज़रने पाती तो शादाब हो भी सकती थी  ये तीरगी जो मेरी ज़ीस्त का मुक़द्दर है  तेरी नज़र की शुआओं में खो भी सकती थी  अजब न था के मैं बेगाना-ए-अलम रह कर  तेरे जमाल की रानाईयों में खो रहता  तेरा गुदाज़ बदन तेरी नीमबाज़ आँखें  इन्हीं हसीन फ़सानों में महव हो रहता  पुकारतीं मुझे जब तल्ख़ियाँ ज़माने की  तेरे लबों से हलावट के घूँट पी लेता  हयात चीखती फिरती बरहना-सर, और मैं  घनेरी ज़ुल्फ़ों के साये में छुप के जी लेता  कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है

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