https://youtu.be/h_Kw70xEprk
शिव ध्यान मंत्र
चैतन्यं मनं मनं मनमनं मानं मनं मानसम ! माया ज्वार धवं धवं धव-धवं धावं धवं माधवं स्वाहाचार चरं चर चरं चारं चरं वाचरं वैकुंठाधिपते भवं भवभवं भावंभवं शांभवं !!
अर्थ- चैतन्य स्वरूप का मन से मनन करने वाले मन का स्वरूप मान को
माननेवाले वामन और समस्त संसार को बसाने वाले समस्त मायाजाल को
ध्वस्त करके पुनः धारण करने वाले माधव कैलाश का आधिपत्य कर्ता शिव
और विष्णु चैतन्यरूप एक ही हैं।
माननेवाले वामन और समस्त संसार को बसाने वाले समस्त मायाजाल को
ध्वस्त करके पुनः धारण करने वाले माधव कैलाश का आधिपत्य कर्ता शिव
और विष्णु चैतन्यरूप एक ही हैं।
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