https://youtu.be/A9NjnM3gyc0
मेघा नाद घटा घटा घट घटा घाटा घटा दुर्घटा,
मण्डूकस्य बको बको बक बको बाको बको बूबको ।
विद्युज्ज्योति चकी मकी चक मकी चाकी मकी दृश्यते,
इत्थं नन्दकिशोर-गोपवनिता-वाचस्पति: पातु माम्।।
मण्डूकस्य बको बको बक बको बाको बको बूबको ।
विद्युज्ज्योति चकी मकी चक मकी चाकी मकी दृश्यते,
इत्थं नन्दकिशोर-गोपवनिता-वाचस्पति: पातु माम्।।
अर्थ :
मेघ यानी बादल ज़ोर ज़ोर से गरज रहें हैं, बरस रहे हैं
मण्डूक यानी मेंडक बाहर आ कर इस बारिश में
"बक बक" सी अपनी मधुर ध्वनी चारों ओर फैला रहे हैं
विद्युत ज्योति यानी बिजलियाँ अपनी चमक धमक से
इस द्रश्य को सुशोभित कर रही हैं और एसे ही भव्य
वातावरण में बाल गोपाल कृष्ण अपनी बचपन की
लीलाएँ कर रहे हैं।
मेघ यानी बादल ज़ोर ज़ोर से गरज रहें हैं, बरस रहे हैं
मण्डूक यानी मेंडक बाहर आ कर इस बारिश में
"बक बक" सी अपनी मधुर ध्वनी चारों ओर फैला रहे हैं
विद्युत ज्योति यानी बिजलियाँ अपनी चमक धमक से
इस द्रश्य को सुशोभित कर रही हैं और एसे ही भव्य
वातावरण में बाल गोपाल कृष्ण अपनी बचपन की
लीलाएँ कर रहे हैं।
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