https://youtu.be/fG2kWOpV_4k
जनक नन्दिनी, जगत वन्दिनी;
रघुनायक घनश्याम।।
कनक-मण्डप तले रतन-सिंहासन,
जुगल मूर्ति अभिराम।।
सरयू के तीर अयोध्या नगरी,
चित्रकूट निज धाम।।
तुलसीदास प्रभु की छवि निरखत,
लाजत कोटि-शत काम।।
https://youtu.be/fG2kWOpV_4k
https://youtu.be/WN1cchip8y8
रामचन्द्राय जनकराजजा मनोहराय
मामकाभीष्टदाय महित मङ्गलम् ॥
कोसलेन्द्राय मन्दहासदासपोषणाय
वासवादि विनुत सर्वदाय मङ्गलम् ॥ १॥
चारुकुंकुमोपेतचन्दनादिचर्चिताय
हारकटकशोभिताय भूरिमङ्गलम् ॥ २॥
ललितरत्नकुण्डलाय तुलसीवनमालिकाय
जलजसदृशदेहाय चारुमङ्गलम् ॥ ३॥
देवकीसुपुत्राय देवदेवोत्तमाय
चावजातगुरुवराय भव्यमङ्गलम् ॥ ४॥
पुण्डरीकाक्षाय पूर्णचन्द्राननाय
अण्डजातवाहनाय अतुलमङ्गलम् ॥ ५॥
विमलरूपाय विविधवेदान्तवेद्याय
सुमुखचित्तकामिताय शुभदमङ्गलम् ॥ ६॥
रामदासाय मृदुलहृदयकमलवासाय
स्वामि भद्रगिरिवराय सर्वमङ्गलम् ॥ ७॥
https://youtu.be/MKoCxBGi3iM
श्री राम, राम राम
श्री राम, राम राम
श्री राम, राम राम
जय राम, राम राम
परम गोप्य परम इष्ट,
मंत्र राम नाम ।
संत हृदय सदा बसत,
एक राम नाम ॥
श्री राम, राम राम
श्री राम, राम राम
श्री राम, राम राम
जय राम, राम राम
महादेव सतत जपत,
दिव्य राम नाम ।
कासी मरत मुक्ति करत,
कहत राम नाम ॥
श्री राम, राम राम
श्री राम, राम राम
श्री राम, राम राम
जय राम, राम राम
मात पिता बंधु सखा,
सब ही राम नाम ।
भक्त जनन जीवन धन,
एक राम नाम ॥
श्री राम, राम राम
श्री राम, राम राम
श्री राम, राम राम
जय राम, राम राम
प्रेम मुदित मन से कहो,
राम राम राम
श्री राम, राम राम
श्री राम, राम राम
श्री राम, राम राम
जय राम, राम राम
https://youtu.be/IW7YvlP1ayE
https://youtu.be/6DXkpBxLU5U
https://youtu.be/xnUvKWZ7kKo
https://youtu.be/Jn8It904vDg
पूजिसलॆंदे हूगळ तंदॆ
https://youtu.be/nIZEKzIsRDg
श्रित-कमला-कुच-मण्डल धृत-कुण्डल ए
कलित-ललित-वन-माल जय जय देव हरे (१)
दिन-मणि-मण्डल-मण्डन भव-खण्डन ए
मुनि-जन-मानस-हंस जय जय देव हरे (२)
कालिय-विष-धर-गञ्जन जन-रञ्जन ए
यदुकुल-नलिन-दिनेश जय जय देव हरे (३)
मधु-मुर-नरक-विनाशन गरुडासन ए
सुर-कुल-केलि-निदान जय जय देव हरे (४)
अमल-कमल-दल-लोचन भव-मोचन ए
त्रिभुवन-भुवन-निधान जय जय देव हरे (५)
जनक-सुता-कृत-भूषण जित-दूषण ए
समर-शमित-दश-कण्ठ जय जय देव हरे (६)
अभिनव-जल-धर-सुन्दर धृत-मन्दर ए
श्री-मुख-चन्द्र-चकोर जय जय देव हरे (७)
तव चरणं प्रणता वयम् इति भावय ए
कुरु कुशलं प्रणतेषु जय जय देव हरे (८)
श्री-जयदेव-कवेर् इदं कुरुते मुदम् ए
मङ्गलम् उज्ज्वल-गीतं जय जय देव हरे (९)
अर्थ