सोमवार, 1 जनवरी 2024

आ जाए कोई शायद दरवाजा खुला रखना.../ शायर : क़तील राजस्थानी / गायन : भूपिंदर सिंह एवं मिताली सिंह

 https://youtu.be/uIxsL4XxV3Q?si=qQ9XlPxbPcg2hjcC

राहों पे नज़र रखना 
होंठों पे दुआ रखना 
आ जाए कोई शायद 
दरवाजा खुला रखना 

एहसास की शमा को 
इस तरह जला रखना 
अपनी भी खबर रखना 
उसका भी पता रखना 

तन्हाई के मौसम में 
सायों की हुकूमत है 
यादों के उजालों को 
सीने से लगा रखना 

रातों को भटकने की 
देता है सजा मुझको
दुश्वार है पहलू में 
दिल तेरे बिना रखना

लोगो की निगाहों को 
पढ़ लेने की आदत है 
हालात की तहरीरें
चेहरे से बचा रखना 

भूलूँ मैं अगर ऐ दिल 
तो याद दिला देना 
तन्हाई के लम्हों का 
हर जख्म हरा रखना 

इक बूंद भी अश्कों की 
दामन न भिगों पाये  
गम उसकी अमानत है 
पलकों पे सजा रखना 

इस तरह क़तील उससे 
बर्ताव रहे अपना 
वो भी बुरा न माने 
दिल का भी कहा रखना 

राहों पे नज़र रखना 
होंठों पे दुआ रखना 
आ जाए कोई शायद 
दरवाजा खुला रखना 

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