रविवार, 14 जनवरी 2024

ज़िंदगी क्या है इक सफ़र के सिवा.../ सूफ़ी (ग़ुलाम मुस्तफ़ा) 'तबस्सुम' / गायन : सोहिनी सिंघा मजूमदार

 https://youtu.be/gPL6dOlxhSM

ज़िंदगी क्या है इक सफ़र के सिवा

एक दुश्वार रहगुज़र के सिवा

क्या मिला तिश्ना-ए-मोहब्बत को

एक महरूम सी नज़र के सिवा

इश्क़ के दर्द की दवा क्या है

सब समझते हैं चारा-गर के सिवा

कुछ नहीं ग़म-गुसारी-ए-अहबाब

एहतिमाम-ए-ग़म-ए-दिगर के सिवा

कितनी तन्हा थीं अक़्ल की राहें

कोई भी था चारा-गर के सिवा

दौलत-ए-सज्दा हो सकी नसीब

और भी दर थे तेरे दर के सिवा

कुछ नहीं है फ़ुसूँ-तराज़ी-ए-हुस्न

इश्क़ की शोख़ी-ए-नज़र के सिवा


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