https://youtu.be/m8hrRMG_u04
सहज सुभाव परयौ नवल किशोरी जू कौ, मृदुता, दयालुता, कृपालुता की रासि हैं । नैकहूं न रिस कहूं भूले हू न होत सखि, रहत प्रसन्न सदा हियेमुख हासि हैं । ऐसी सुकुमारी प्यारे लाल जू की प्रान प्यारी, धन्य, धन्य, धन्य तेई जिनके उपासिहैं । हित ध्रुव ओर सुख जहां लगि देखियतु, सुनियतु जहां लागि सबै दुख पासि हैं ।
श्री राधा रानी के स्वभाव का वर्णन करते हुए श्री ध्रुवदास जी कहते हैं कि
हमारी किशोरीजी का स्वभाव अत्यंत ही सरल और मधुर है और कभी भी
इनको क्रोध नहीं आता और निरंतर इनके चेहरे पर मृदु मुस्कान रहती है।
यह मृदुता, कृपालुता और दयालुता की साक्षात मूर्ति एवं राशि हैं। यह प्यारे
श्री कृष्ण की प्राण से भी अधिक प्यारी हैं और राधा रानी के उपासक धन्य,
धन्य, धन्य हैं। ध्रुवदास जी के शब्दों में, ऐसी राधारानी कि उपासना को
हमारी किशोरीजी का स्वभाव अत्यंत ही सरल और मधुर है और कभी भी
इनको क्रोध नहीं आता और निरंतर इनके चेहरे पर मृदु मुस्कान रहती है।
यह मृदुता, कृपालुता और दयालुता की साक्षात मूर्ति एवं राशि हैं। यह प्यारे
श्री कृष्ण की प्राण से भी अधिक प्यारी हैं और राधा रानी के उपासक धन्य,
धन्य, धन्य हैं। ध्रुवदास जी के शब्दों में, ऐसी राधारानी कि उपासना को
छोड़कर अन्य संपूर्ण सुख, दुख रूप ही हैं।
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