जब बहती नदिया शोर करे जब बहती नदिया शोर करे मेरा दिल मिलने को ज़ोर करे मेरा दिल मिलने को ज़ोर करे याद आयें याद आयें ख़ुशी के ज़माने जिया नहीं माने तू छुट्टी लेके आजा बालमा
जब आयें पंछी शाम ढले जब आयें पंछी शाम ढले मेरे दिल में तेरी याद चले मेरे दिल में तेरी याद चले कोई गाये कोई गाये अनोखे तराने जिया नहीं माने तू छुट्टी लेके आजा बालमा
कहीं फूल को भौंरा चूम गया कहीं फूल को भौंरा चूम गया मेरा दिल मस्ती में झूम गया मेरा दिल मस्ती में झूम गया कोई मेरी कोई मेरी लगी को न जाने जिया नहीं माने तू छुट्टी लेके आजा बालमा
अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम दराज़ सोंचती थी के वो इस वक़्त कहाँ पर होगा मैं यहाँ हूँ मग़र उस कूचा-ए-रंगों-बू में रोज की तरह से वो आज भी आया होगा और जब उस ने वहाँ मुझको न पाया होगा आप को इल्म है वो आज नहीं आयीं हैं? क्यों नहीं आईं वो? क्या बात हुई है आखिर? खुद से इस बात पर सौ बार वो उलझा होगा कल वो आएगी तो मैं उस से नहीं बोलूँगा आप ही आप कई बार वो रूठा होगा
वो नहीं तो बुलंदी का सफ़र कितना कठिन सीढियां चढ़ते हुए उस ने ये सोंचा होगा राहदारी में हरे लॉन में फूलों के करीब उसने हर सिम्त मुझे आन के ढूँढा होगा नाम भूले से जो मेरा कहीं आया होगा गैर-महसूस तरीके से वो चौंका होगा एक हीं जुमले को कई बार सुनाया होगा बात करते हुए सौ बार वो भूला होगा ये जो लड़की नयी आई है कहीं वो तो नहीं उस ने हर चेहरा यही सोंच के देखा होगा जाने-महफ़िल है मग़र आज फ़क़त मेरे बगैर हाय किस दर्ज़ा वो बज़्म में तनहा होगा कभी सन्नाटों से वहशत जो हुई होगी उसे उसने बेसाख्ता फिर मुझको पुकारा होगा चलते-चलते कोई मानूस सी आहट पा कर दोस्तों को भी किसी उज्र से रोका होगा याद करके मुझे नम हो गयी होंगी पलकें आँख में पड़ गया कुछ कह के ये टाला होगा और घबरा के किताबों में जो ली होगी पनाह हर सतर में मेरा चेहरा उभर आया होगा जब मिली होगी उसे मेरी अलालत की खबर उस ने आहिस्ता से दीवार को थामा होगा सोंच कर ये के बहल जाए परेशानी-ए-दिल यूहीं बेवजह किसी शख्स को रोका होगा
इत्तेफाक़न उस शाम मुझे मेरी दोस्त मिली मैंने पूछा के सुनो! आये थे वो? कैसे थे? मुझको पूछा था? ढूँढा था चारों ज़ानिब? उस ने इक लम्हे को देखा मुझे और फिर हँस दी इस हँसी में वो तल्खी थी के इस से आगे क्या कहा उसने मुझे याद नहीं है लेकिन इतना मालूम है कि खाबों का भरम टूट गया
शिव-विवाह में शिव की बारात में द्वार-पूजा के पूर्व का दृश्य है, जब पार्वती के द्वार पर नगर के पुरवासी दूल्हे को देखने के लिए भारी संख्या में आ रहे हैं।