https://youtu.be/KlkdApcofFk
देखो माई ये बडभागी मोर।।
जिनकी पंख को मुकुट बनत है,
शिर धरें नंदकिशोर॥१॥
ये बडभागी नंद यशोदा,
पुन्य कीये भरझोर।
पुन्य कीये भरझोर।
वृंदावन हम क्यों न भई हैं
लागत पग की ओर॥२॥
लागत पग की ओर॥२॥
ब्रह्मदिक सनकादिक नारद,
ठाडे हैं कर जोर।
सूरदास संतन को सर्वस्व
देखियत माखन चोर॥३॥
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