रविवार, 4 अगस्त 2024

ये ग़ज़ाल सी निगाहें ये शबाब ये अदाएँ / सदा अम्बालवी / गायन : राधिका चोपड़ा

https://youtu.be/GfEfplHXJ2s  


ये ग़ज़ाल सी निगाहें ये शबाब ये अदाएँ
तू तो ख़ुद ही इक ग़ज़ल है तुझे क्या ग़ज़ल सुनाएँ

तुझे एक बार देखा तो ये दिल ने दी दु'आएँ
तुझे बार-बार देखें तुझे देखते ही जाएँ

ये सियाही क्या उतारे छवी रूप की तुम्हारे
चलो इन्द्र से धनुष के सभी रंग माँग लाएँ

तिरे लब खुलें सनम जब तो कली को लाज आए
उड़े ज़ुल्फ़ जब हवा में तो घटाएँ सर झुकाएँ

तू सँवार ज़ुल्फ़-ए-शब-गूँ ये दो नैन रख के आगे
कि मजाल क्या हमारी तुझे आइना दिखाएँ

मिरे बोल बे-नवा हैं तिरे साज़ बे-सदा हैं
चलो सुर में सुर मिला के नई बंदिशें बनाएँ 

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