https://youtu.be/zdvv7-ArzMI
कृष्ण प्राकट्य
भए प्रगट कृपाला जग प्रतिपाला गोपाला ब्रज लाला ,
छवि अनुपम धारी कौस्तुभ हारी कोमल नयन विशाला ।
वसुदेव दुखारी अति सुखकारी देवकी त्रास निवारी ।
देवारि निकंदन भव भय भंजन संतन ऋषि हितकारी ।
वैदूर्य किरीटं कटि पटपीतं
देह मेघ सम श्यामा ।
श्रीवत्स विभूषित कुंडल शोभित कुंचित केश ललामा ।
भुज कंकण सुंदर चक्र गदाधर शंख कमल कर सोहे ।
मंदस्मित आनन मृगमद चानन
बदन दीप्ति मन मोहे ।
बंदी गृह चमके सौरभ गमके
पावन भयो समीरा ।
पितु मातु विचारो प्रभुहि पधारो
देखि भयो मन धीरा ।
ऋषि मुनि बहु हर्षित प्रकृति गर्वित , मुदित सिद्ध गंधर्वा ।
सुर नारिन नाचत प्रभु गुण बांचत
ब्रज आयो दुख हरवा ।
तरुवर फल पुष्पित लता सुशोभित, सर सरसिज परिभूषित
खग मृग अति प्रमुदित धरणि प्रफुल्लित, गगन मेघ उत्कर्षित ।
देवकी स्तुति गावत हरि को सुनावत , पति वसुदेव समेता ।
प्रभु आशिष दीन्हा भय हरिलीन्हा
प्रहरी भयो अचेता ।
पितु सुतहिं उठायो गोकुल जायो
यशोदा गृह पहुचायो,
हरि माया रूपा देवि स्वरूपा
नंद सुता धरि लायो।
दोहा:--
वासुदेव के जन्म का
जो मुख वर्णन गात ।
माधव बड़भागी मनुज
माधव चरण समात ।
-विप्रेन्द्र झा माधव (आचार्य माधवानंद)
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