सोमवार, 26 अगस्त 2024

कृष्ण प्राकट्य.../ विप्रेन्द्र झा माधव / स्वर : माधवी मधुकर झा

https://youtu.be/zdvv7-ArzMI  

कृष्ण प्राकट्य

भए प्रगट कृपाला जग प्रतिपाला गोपाला ब्रज लाला ,

छवि अनुपम धारी कौस्तुभ हारी कोमल नयन विशाला ।

वसुदेव दुखारी अति सुखकारी देवकी त्रास निवारी ।

देवारि निकंदन भव भय भंजन संतन ऋषि हितकारी ।

वैदूर्य किरीटं कटि पटपीतं

देह मेघ सम श्यामा ।

श्रीवत्स विभूषित कुंडल शोभित कुंचित केश ललामा ।

भुज कंकण सुंदर चक्र गदाधर शंख कमल कर सोहे ।

मंदस्मित आनन मृगमद चानन

बदन दीप्ति मन मोहे ।

बंदी गृह चमके सौरभ गमके 

पावन भयो समीरा ।

पितु मातु विचारो प्रभुहि पधारो

देखि भयो मन धीरा ।

ऋषि मुनि बहु हर्षित प्रकृति गर्वित ‌, मुदित सिद्ध गंधर्वा ।

सुर नारिन नाचत प्रभु गुण बांचत

ब्रज आयो दुख हरवा ।

तरुवर फल पुष्पित लता सुशोभित, सर सरसिज परिभूषित

खग मृग अति प्रमुदित धरणि प्रफुल्लित, गगन मेघ उत्कर्षित ।

देवकी स्तुति गावत हरि को सुनावत , पति वसुदेव समेता ।

प्रभु आशिष दीन्हा भय हरिलीन्हा

प्रहरी भयो अचेता ।

पितु सुतहिं उठायो गोकुल जायो

यशोदा गृह पहुचायो,

हरि माया रूपा देवि स्वरूपा

नंद सुता धरि लायो।

दोहा:--

वासुदेव के जन्म का 

जो मुख वर्णन गात ।

माधव बड़भागी मनुज

माधव चरण समात ।

  -विप्रेन्द्र झा माधव  (आचार्य माधवानंद)

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