rashmi rekh
शुक्रवार, 9 अगस्त 2024
जाग मुसाफ़िर.../ कबीर / प्रस्तुति : फ़रीद अयाज़ क़व्वाल
https://youtu.be/u4wi7nOGV4o
सजन सकारे जायेंगे और नैन मरेंगे रोय।
विधना ऐसी रैन कर जाकी भोर कबहुँ न होय।।
उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है।
जो सोवत है सो खोवत है,
जो जागत है सो पावत है।
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