गुरुवार, 26 सितंबर 2024

किसी रंजिश को.../ शायर : सुदर्शन फ़ाकिर / स्वर : नन्दिनी सरकार

https://youtu.be/Hf_jjhUwAeM  


किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूं अभी
मुझ को एहसास दिला दो कि मैं ज़िंदा हूं अभी

मेरे रुकते ही मिरी सांसें भी रुक जाएंगी
फ़ासले और बढ़ा दो कि मैं ज़िंदा हूं अभी
ज़हर पीने की तो आदत थी ज़माने वालो
अब कोई और दवा दो कि मैं ज़िंदा हूं अभी
चलती राहों में यूंही आंख लगी है 'फ़ाकिर'
भीड़ लोगों की हटा दो कि मैं ज़िंदा हूं अभी

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