रविवार, 21 सितंबर 2025

आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो.../ शायर : ज़ां निसार अख़्तर / गायन : शैला हट्टंगड़ी / संगीत : जय देव

https://youtu.be/jhyZBdqns98   

आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो
साया कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो


जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन में
शरमाए लचक जाए तो लगता है कि तुम हो


संदल से महकती हुई पुर-कैफ़ हवा का
झोंका कोई टकराए तो लगता है कि तुम हो


ओढ़े हुए तारों की चमकती हुई चादर
नद्दी कोई बल खाए तो लगता है कि तुम हो


जब रात गए कोई किरन मेरे बराबर
चुप-चाप सी सो जाए तो लगता है कि तुम हो

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