रविवार, 21 सितंबर 2025

छा रही काली घटा.../ गायन : नय्यरा नूर

https://youtu.be/VuLkqWflslA   

सुन री कोयल बावरी तूँ क्यूँ मल्हार गाये है?
छा रही काली घटा जिया मोरा लहराए है ।


सारे आज़ारों से बढ़के इश्क़ का आज़ार है 
आफ़तों में जान-ओ-दिल का डालना बेकार है 
बेवफा से दिल लगाकर क्या कोई फल पाए है? 


क्या ये बीमार-ऐ-अलम इस दर्द से बच जायेगा ?
क्या यूँ ही खा खा के ग़म ये आख़िरश मर  जाएगा?
ऐ मसीहा कुछ तो बोलो क्या तुम्हारी राय है?


ऐ पपीहे चुप खुदा के वास्ते हो जा ज़रा 
रात सारी जा चुकी ज़ालिम तुझे क्या हो गया?
तेरे पीपी करने से वो बेवफ़ा याद आये है ।

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