रविवार, 24 फ़रवरी 2019

कवना बिरिछिईया ए चिरई : भोजपुरी निर्गुण

https://youtu.be/HLQM7HIMXK4

कवना बिरिछिईया ए चिरई


कौना बिरिछिया ऐ चिरई खोतवा लगावलु जा के, सून कई के आँगना हमार हो, उड़ गइलू पंखिया पसार हो ।  -३  नेहिया के डोरी तोरी , चल गइलू छुपे चोरी , कौने नगरिया , कौने गाँव ?  खोजी ले मन में बन में , धाई-२ घर आँगन में , धरती आकाश ठाँवें -ठाँव हो, देके न पाता गइलू , कहँवाँ न पाता भइलू , हो गईलू काहें फरार हो ? सून कई के आँगना हमार हो, उड़ गइलू पंखिया पसार हो  सुरुज आ चनवा से , बदरी पवनवा से, पूछी ले गईलू कौन खोह हो ? तलवा -तलाईन से ,कहनी तरैयन से , केहु नाही देता कौनो जोह हो ।  केने के से पूछ जाई , तोहरा के कइसे पायी ? केकरा से करी अब गुहार हो ? सून कई के आँगना हमार हो, उड़ गइलू पंखिया पसार हो  काहें तू अइसन कइलू ? कुछुओ न कह के गईयलु , बतिया के लागल कौन ठेस हो ? कहलू जवन जब जइसे ,कयने हम तुरते तइसे , तबो दे गईलू कलेस हो, अपने ता लांघे गईलू लमहर सगरवा के , हमरा के छोर अईलु पार हो , उड़ गइलू पंखिया पसार हो ।  पीया तोह के लेहि भागल , तोहरो न भनक लागल , कौनो बहेलिआ धैयबा बझाई के , हिले न डोले दिहलस , धीरहूँ से बोले दिहलस , अचके में कईलस घतिया आयी के , आनंद गोपाल सूतले , रही गईले नाही जनलें , जंगल न कुकुरो रखवार हो , उड़ गइलू पंखिया पसार हो , सून कई के आँगना हमार हो, उड़ गइलू पंखिया पसार हो । 

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