https://youtu.be/6r8iW9MYXrc
या रब मेरे हुनर को तू ऐसा कमाल दे
जो दुश्मनों का ख़ौफ भी दिल से निकाल दे
जो दुश्मनों का ख़ौफ भी दिल से निकाल दे
मेरा हर एक 'शेर इबादत गुज़ार हो
जिसकी कलन्दरी की ज़माना मिसाल दे
डर से किसी भी 'शेर की गर्दन झुके नहीं
लफ़्ज़ों के हर्फ़-हर्फ़ को रिज़्क-ए-हलाल दे
लफ़्ज़ों की भी बुनत हो रवानी के साथ-साथ
उससे बुलन्द 'शेर दे जिसका ख़याल दे
ज़ौक-ए-सुख़न दिया है तो इतना करम भी कर
ज़ोर-ए-क़लम भी तू मेरी झोली में डाल दे
अह्या सुकूं-परस्त है लेकिन मेरे ख़ुदा
जितना जलाल चाहिए उतना जलाल दे
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