उस सौम्य मदिर प्रभात की स्मृति हो आई है आज वापस :)वाकई शब्द नहीं मिलते हैं आपकी रचनाओ के लिए कहने के लिए, एक से बढ़कर एक उज्जवल किरणे हैं इस "रश्मि रेख" में
प्रिय अमित जी, मुझे भी आप की इस आत्मीयता का आभार व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं | - अरुण मिश्र.
उस सौम्य मदिर प्रभात की स्मृति हो आई है आज वापस :)
जवाब देंहटाएंवाकई शब्द नहीं मिलते हैं आपकी रचनाओ के लिए कहने के लिए, एक से बढ़कर एक उज्जवल किरणे हैं इस "रश्मि रेख" में
प्रिय अमित जी, मुझे भी आप की इस आत्मीयता का आभार व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं |
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