कवित्त
-अरुण मिश्र
होरी की भोर में, नन्द-किसोर ने,
लाग्यो है कीन्ही, बिसेस तयारी।
झोरी अबीर की, कॉधे धरी,
अरु हाथ लई है, नई पिचकारी।
पातन बीच लुकाइ के, घात सों,
गोरी पे, रंग की धार जु डारी।
कॉकरि मारी, न गागरि फोरी,
अचंभित राधा, भिजी कत सारी।।
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सखी मोहनकुंज में छाई रह्यो आज अति उमंग
जवाब देंहटाएंफाग खेल रहे श्रीराधामुकुंद परस्पर बरसावे रंग
वाह कवित्त में तो महारत हासिल है आपको ....!!
जवाब देंहटाएंप्रिय हरकीरत 'हीर' जी एवं प्रिय अमित जी, रश्मि-रेख पर आने के लिए मैं आप दोनों का आभारी हूँ |
जवाब देंहटाएं-अरुण मिश्र.