रविवार, 20 मार्च 2011

चलो रे! खेलें फाग; होली है...

चलो रे! खेलें फाग; होली है... 


-अरुण  मिश्र 
   
चलो रे! खेलें फाग; होली है।
          
          सगरो  ब्रज में,  धूम  मची है;
          लोक-लाज, कछु नाय बची है;

इत राधा,सखियन संग निकसीं,
उत, नंदलाल  की  टोली  है।
चलो रे! खेलें फाग; होली है।।
 
              नव  वसंत   कै,  बाजै   नूपुर;
         लहरै  सरजू, उमगै  अवधपुर;
 
चलीं सीय, सखियन संग उतहीं,
जित, रघुवीर  की  टोली  है।
चलो रे! खेलें फाग; होली है।।
 
          धूम मची, कैलास-सिखर पर,
        नाचें  सिव-गनेस, डमरू-स्वर
 
सुनि गौरा, सखियन संग धाईं,
बम-भोले की भागी, टोली है।
चलो रे! खेलें फाग; होली है।। 
                                   *

3 टिप्‍पणियां:

  1. फागुन की मस्ती
    होली की हार्दिक शुभकामनायें
    manish jaiswal
    Bilaspur
    chhattisgarh

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  2. बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
    आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  3. प्रिय मनीष जैसवाल जी एवं प्रिय ऊर्मी जी, रश्मि-रेख पर आने के लिए मैं आप दोनों का आभारी हूँ|
    -अरुण मिश्र.

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