चलो रे! खेलें फाग; होली है... |
-अरुण मिश्र
सगरो ब्रज में, धूम मची है;
लोक-लाज, कछु नाय बची है;
इत राधा,सखियन संग निकसीं,
उत, नंदलाल की टोली है।
चलो रे! खेलें फाग; होली है।।
नव वसंत कै, बाजै नूपुर;
लहरै सरजू, उमगै अवधपुर;
चलीं सीय, सखियन संग उतहीं,
जित, रघुवीर की टोली है।
चलो रे! खेलें फाग; होली है।।
धूम मची, कैलास-सिखर पर,
नाचें सिव-गनेस, डमरू-स्वर
सुनि गौरा, सखियन संग धाईं,
बम-भोले की भागी, टोली है।
चलो रे! खेलें फाग; होली है।।
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फागुन की मस्ती
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें
manish jaiswal
Bilaspur
chhattisgarh
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
प्रिय मनीष जैसवाल जी एवं प्रिय ऊर्मी जी, रश्मि-रेख पर आने के लिए मैं आप दोनों का आभारी हूँ|
जवाब देंहटाएं-अरुण मिश्र.