ग़ज़ल
-अरुण मिश्र.
( टिप्पणी : आडिओ क्लिप में, इस ग़ज़ल को स्वर दिया है शकील मियां ने
एवं संगीत रचना उस्ताद जमील रामपुरी की है| रिकार्डिंग वर्ष २००३ की है| )
दर्दे-दिल से जो घबराइये। एवं संगीत रचना उस्ताद जमील रामपुरी की है| रिकार्डिंग वर्ष २००३ की है| )
जाइये तो कहाँ जाइये।।
कोई साया घना खोजिये।
या इधर मेरे पास आइये।।
आशिक़ी में ये तहज़ीब है।
मुस्करा कर जहर खाइये।।
कुछ न आते , न जाते बने।
यूँ कहे वो कि, आ-जाइये।।
है ग़मे-इश्क़ का क्या इलाज।
पालिये , और पछताइये।।
कुछ दवायें न कामआयेंगी।
अब दुआओं पे दिल लाइये।।
बस के आँखों में जी न भरे।
तो दिलों में उतर जाइये।।
है ‘अरुन’ ये ग़ज़ल प्यार की।
नाज़ुकी से इसे गाइये।।
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त्रिभुवन जननायक मर्यादा पुरुषोतम अखिल ब्रह्मांड चूडामणि श्री राघवेन्द्र सरकार
जवाब देंहटाएंके जन्मदिन की हार्दिक बधाई हो !!
आप को भी हार्दिक बधाई, प्रिय अमित जी!
जवाब देंहटाएं-अरुण मिश्र.