लगता था जिसे हीरे की तरह........
-अरुण मिश्र
लगता था जिसे हीरे की तरह, कोई एक फ़क़ीर मेरे जैसा।
उसको भी ख़ुशी की ख़ातिर अब, लगने है ज़रूरी लगा पैसा।।
माना कि, अगर पैसे हों तो, ढेरों सपने सच हो सकते।
पर सोचो कि, देख भी पाओगे, क्या सपना वो पहले जैसा।।
सपने ही तो सच्ची पूँजी हैं, दौलत का क्या, कल हो या न हो।
अपने सपने मत खो देना, पाओगे न सरमाया ऐसा।।
उसको भी हमारी बातों में, कुछ रस तो मिलता होगा 'अरुन '।
वर्ना क्यूँ सुना कर शेर' मेरे, वो पूँछे सभी से, लगा कैसा ??
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