तुमको मुबारक साथी।
कि साथ&साथ गुज़ारी है
हमने उम्र तमाम।
तमाम ख़ुशियाँ मिलीं
और ग़म हुये हैं कम।
पिये हैं साथ मसर्रत के
छलकते हुये जाम।
तुमको मुबारक साथी।।
ये तो यूँ ही बढ़ती जायेगी।
असल है ज़िन्दगी
जो लौट कर न आयेगी।
मैंने भी कब का साठ पार किया।
तुम्हारी उम्र भी]
इस बीच कुछ बढ़ी होगी।
गो कि] अन्दाज़ा नहीं लगता है।
इस लिये जन्म दिवस पर तेरे]
दिल से बस ये ही
निकलती है दुआ-
तुम न पचपन से कभी आगे बढ़ो।
शोखि़याँ बचपने की]
तुझ में सदा जिन्दा रहें]
तुम न इस बचपन से कभी आगे बढ़ो।
मुस्कराहट से] चहक से] तमाम जीवट से]
यूँ ही गुलज़ार सदा करती रहो-
हमारी ज़िन्दगी की बगि़या को।
मेरी साथी की तरह]
बच्चों की मम्मी की तरह।
तुमको मुबारक साथी।।
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